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________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : : 25 मारवा माटे कंपिलपुरनगरमां सेनासहित आवी पहोंच्यो / / 90-91 / / नवरविमंडलसण्णिम-मईवनिसियगाधारमइघोरं / परचक्कक्खयकारग-मारूढं करयले चक्कं // 92 / / जक्खसहस्साहिठिय-मह पंचालाहिवंगजायस्स / तक्खणमित्तण तेणं दोहसीसं तओ छिण्हं // 93 / / भावार्थ:-त्यारबाद तत्काल उदय पामता रवि. मंडल जेवू प्रकाशमान, अतितीक्ष्ण धारवालं, अतिघोर, शत्रुओना क्षयने करनारं चक्र तेना (पंचालदेशाधिपतिना पुत्र ब्रह्मदत्तना) करतल (हथेली) मां आवी पेठे, जे हजार यक्षोथी अधिष्ठित हतुं ते वती तेणे तत्कालज दीर्घनरेशन मस्तक छेदी नांस्यं // 92-93 // . गंधव्यसिद्ध खेयरनरेहि मुक्काओ कुसुमवठीओ। युत्ता जहेस चक्की बारसमो 'इह सुवण्णतणू // 94 // भावार्थ:-गंधर्व, सिद्ध, विद्याधर अने मनुष्योए तेना उपर पुष्पवृष्टिओ करी जेथी आ सुवर्णकाय ब्रह्मदत्त बारमा चक्रवत्ति तरीके प्रसिद्धि पाम्यो 94 कपिल्लपुरबहिया बारसवासाणि चक्कट्टिमहो / जाओ य. अइमहतो चउद्दसरयणाहिवहिवहिस्स // 95 // भावार्थः-कपिलपुरनगरनी बहार चौदरत्नना नाथ ते ब्रह्मदत्तचक्रवत्तिना मानो खातर बार वर्षसुधी
SR No.004393
Book TitleNarbhavdrushtantopnaymala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1996
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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