________________ 24: :: नवभवदिठूतोवनयमाला भावार्थ:-त्यारबाद दीर्घनरेशनां सुभटोए वरधनुनी पुंठ पकडी, परंतु ते पण नाशीने कुंवरनी पासे वैताब्यमा जइ पहोंच्यो / / 8 / / तत्थ य पुण्णबलेण य रिद्धिमाणाइर्ग च संपत्तों / आयरनिवस्स कण्णा-पाणिग्गहणं कयं बहुया / / 8 / / भावार्थ:-त्यां पराक्रमथी समृद्धि सत्कार विगेरेनें कुमार पाम्यो अने विद्याधरनरेशनी कन्याओगें पाणीग्रहण अनेकवार कयु / / 88 // . इत्थ य बहुवत्तव्वं यं गंयंतराओ तं सव्वै / वेयढ्ढसेलगमणं इत्थीरयणाण लाहाणं // 89 // - भावार्थ:-आ स्थले वैताढयपर्वतमां जवं, कन्यारत्ननुं प्राप्त थवं विगेरे घणं कहेवानं छे परंतु ते सघलं अन्यग्रन्थोथी जाणी लेवू // 89 // वाससएण य साहिय-भरहो संपप्प चक्कवट्टित्तं / तिमिह पिऊमित्तनिवेहि सहिलो. महिओं यजमलेहि // 30 // पत्तो कंपिल्लपुरं सेणासंजुत्तबंभवत्तनिवो। .. दोहं दीहपमिलं काऊण य तंमि समरभरे // 11 // __ भावार्थ:-सो वर्षमां भरतना छ खंडने साधी चक्रवर्तिपणुं मेलवी त्रणे पोताना पिताना मित्रों साथे यक्षोथी पूजा पामेल :ब्रह्मदत्तमुमार ते रणांगणमा दीर्घनरेशने दीर्घनिद्रा (मृत्यु) कराववा माटे अर्थात्