________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : : 23 भावार्थ:-धीवत्स लांछनयुक्त कुमारने जोइने विप्रभार्या कहेवा लागी के आ चक्रवर्ती छे तेथी (मारी बंधुमति नामनी) कन्यानो वर थाओ // 83 // धणुणामच्चेण तहि वित्तंत भासियं च तप्पुरओ / गंधवविवाहेण य परिणीया कण्णगा तत्थ / / 84 // .. भावार्थ:-समयने जाणनार मंत्रिपुत्रे पण सघलो वृत्तान्त ते कुमारनी सामे कही संभलाव्यो त्यारबाद गांधर्व विवाहथी ते कन्या कुमारे परणी लीधी / 84 / अह दोहरायपुरिसा भामं भाम समागया तत्थ / .. तुरियं तत्थ पलाणा भयभीया णिग्गया दो य // 85 // . भावार्थ:-त्यारबाद दीर्घराजाना नोकरो भमता भमता त्यां चडी आव्या, आ बन्ने (कुमार ने मंत्रिपुत्र) भयभीत थइ जलदीथी त्यांथी पलायन करी गया // 85 // अह एगो पहि मिलिओ विप्पो बु सलाभिहो य पहदक्खो। तसद्धि संपत्तो कुमरो वेयढगिरिमूले // 86 // - भावार्थ:-त्यारबाद मार्गदक्ष (मार्गमा भोमियो) कुशल नामनो एक ब्राह्मण रस्तामां मल्यो तेनी साथे कुमार पण वैतान्यपर्वतनी समीपे जइ पहोंच्यो / 86 / अह दीहनिवभडेहि गहिलो अमच्चो धणू तओ पिट्टि / सो वि गो पणट्ठा कुमरसमोवे य वेयढ्ढे / / 87 / /