________________ 22: : नरभवदिटुंतोवनयमाला वत्थे कसायरत्ते निवासियो पट्टए णिविट्ठो य / चउरंगुलेण वच्छे सिरिवच्छो लच्छीकुलतिलओ / / 79 // भावार्थ:-नोरुरंगना कपडाथी शरीर ढांक्यु, चार आंगलना बीजा कपडावती हृदयस्थलमा रहेल श्रीवत्सतिलक जे चक्रवर्तीपणानं सूचक चिन्ह छे तेने पण ढांकी दीधं // 79 // कयवेसपरावत्तो वरघणुणा बुद्धिबोहिमा कुमरो / नइ कहवि दोहराया जाणिज्ज हलिज्ज तो अम्हे // 8 // भावार्थ:-बुद्धिनिधान वरधनुए कुमारनो वेष बदलावी दीधो, जो दीर्घराजा कोइपम रीते जाणशे तो आपणने हणशे // 8 // ' इमं संभमं वहता तप्पडियारं तहा कुणता य / माम तो संपत्ता एगंमि य माहागहमि // 8 // भावार्थ:-एवी धास्तीने धरावता ने तेनो प्रतिकार करता एक गाममां ब्राह्मणने घेर पहोंच्या // 81 // विप्पेण निययभज्जा भासिया भुजहेह एयाणं / मासणबहुमाहिं ठाविया तत्थ ते तीए / / 82 / / भावार्थ:-ब्राह्मणे पोतानी पीने का के-तेओने जमाड. तेणीए पण आसन आपी बहुमानपूर्वक ते बन्नेने त्यां पोताने घरे स्थिर कर्या // 82 / / कुमर सिरिवच्छजुयं पासेत्ता भासइ इमं महिला / बंधुमईकण्णाए होहि वरो एसिमो चक्की / / 83 //