________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : : 21 पहोंच्या // 7 // पुव्वं चिय वरधणुणा ठावियजच्चमि दुरियजुयलंमि / तक्खणमारूढा ते पण्णासं जोयणा णिगया // 75 / / भावार्थ:-मंत्रिपुत्रे प्रथमथीज राखेल जातिवाला बे घोडा उपर बन्ने जण चढी पचास योजन दूर निकली गया / / 75 / / अइदीहमग्गखेहेण ज्झति पंचत्तमावया तुरया / पाएहिं चेव गत्तुं लग्गा पत्ता तओ गामं // 76 / / .. भावार्थ:-बहु लांबो मार्ग कापवाथी ते बन्ने 'घोडा जलदी भरण पाम्या, बन्ने सवारोए पगे चालवा मांडयुं ने एक गाम पहोंची गया // 76 / / कुद्दाभिहाणमेत्थं कुमरेणं वरधणू इमं भणिओ / जह बाहए छुहा मे परिसंतो तह वढं जाओ / / 77 / / _ 'भावार्थ:-जे गाम कुद्रनामनुं हतुं, आ स्थले कुमारे मंत्रिपुत्रने का के-भूख सतावे छे ने हुं बहुज थाकी गयो छु / / 77 // गामे बहि चियं तं ठाविऊण गामंतरं पविट्ठो सो / घेतण खुरमबि कुमरो मुंडाविओ तत्य // 78 / / ___ भावार्थ:-मंत्रिपुत्र गामनी बहारज कुमारने राखी गाममा गयो ने एक हजामने पकडी लावी कुंवरन मस्तक मुंडावी दीधुं // 78 //