________________ 20: के.लाहल थवा लाग्यो // 7 // पक्खुभिजलहिसंनिहि जलणं कुमरेण भीसणं विटुं / आपुच्छिओ वरधणूं किमकंडे उमरमेयंति ? // 71 // ___ भावार्थ:-क्रोध पामेल समुद्रसमान भयंकर आग कुमारे जोइने वरधनुमे पूछयं के-आ अनवसरे शो उत्पात थयो छे // 71 / / कुमर तुहाणत्यकए एसो विवाहवइयरो रइओ / एसा ण रायकण्णा अण्णा वि य कावि तस्सरिसा // 72 // भावार्थ:-ते. सभिलीने मंत्रीपुत्रे का के-हे कुमार ! तारा माशने माटे आ विवाहनो प्रसंग रचायेल छे. आ तारी स्त्री राजपुत्री नथी, परंतु तेना जेवी बीजी एक कोइ कन्या छे / / 72 / / ता तीए मंदपणओ कुमरो जपेइ कि विहेयमओ ? / तो भणियं वरवणुणा पण्णिप्पहारं अहो देसु // 73 // __ भावार्थः-आ सांभली ते स्त्रीमां मंदादर थयेल कुमार कहे छ के-हे मंत्रिपुत्र! हवे शुं करुं ? मंत्रिपुत्रे का-नीचे पानीनो प्रहार करो / / 73 / / दिग्णमि तप्पहारे सुरंगदारं विणिग्गया तेण / दोहिवि गंगातीरे पवापसमि संपत्ता // 7 // ___ भावार्थ:-पाटु मारी के तरतज सुरंगनुं द्वार उघडी गयुं, ते रस्तेथी बन्ने जण गंगाना किनारा उपर वृद्धमंत्रिए करावेल प्रपाना प्रदेशमां जइ