________________ 1 चुलक हष्टांत : भावार्थ:-ने ते युवान थयेलो होवाथी राज्यन संघलो भार लही शके तेवो छे, मारा वनमा जवानो वखत आवी लाग्यो छे, आज्ञा आपो जेथी हूं क्नमा जाउं // 58 // तो कइयवेण बोहेण भणिओ य अमच्च इत्थ णयरठिओ / दाणाइणा पहाणं करेसु. परलो गणुट्टाणं // 59 // भावार्थ:-त्यारबाद दीर्घनरेशे कपटथी मंत्रीने का के-अहिंज नगरमां रहीने दानादिद्वारा परलोकनुं साधन सारी रीते करो // 59 / / पडिवज्जिऊण एवं पुरपरिसरवाहि गंगतीरंमि / काराविया विसाला एगा धषुणा पचा पारा // 60 // भावार्थ:-मंत्रीए पण ते कथनने स्वीकारो नगरना बाहिरना भागमां चहेती गंगाना किनारा उपर एक सुंदर ने विशाल प्रपा एटले धर्मशाला जेवू मुसाफरोने विश्रान्ति लेवानुं स्थान कराव्यं // 6 // परिवायगाण तह भिछुयाण नाणाविहाण पहियाण / भद्दगइंदोव्व तहिं दाणं दाउं पयज्जेसु // 61 // भावार्थ:-परिव्राजक (संन्यासी), भिखारीओने तथा अनेक प्रकारना मुसाफरोने दान देइने जाणे सरलपरिणामीमां शिरोमणि न होय तेनी पेठे रहेवा लाग्यो // 61 // 1 नोरंमि इत्यपि पाठः