________________ : नरभवदिटुंतोवनयमाला छु एटले अनुकूल छं तो बीजा घणा पुत्रो तने थशे // 54 / / रइरागपरवसाए इहपरभवकज्जवज्झचिताए / चुलणीए पडिवण्णं धिरत्थु इत्थीण चरियाई // 55 // - भावार्थ:-कामरागने परवश थइ अने आलोक परलोकना कर्तव्य संबंधी विचारथी भ्रष्ट थइ चुलणीराणीए पण ते दीर्घनरेशनी वात मानी लीधी, स्त्रीओना चरित्रो तिरस्कारने पात्र बहुधा होय छे // 55 / / जं सव्वलक्खणधरे लायण्णुक्करिसविजयकुसुमसरे / सव्वाविणयविरहिए नियपुत्ते वदसि ज़ा एवं // 56 / / भावार्थ:-कारण के जे चुलणी आ प्रमाणे सर्व लक्षणने धारण करनार सौन्दर्यनो पराकाष्ठाथी जेणे कामने पण जीत्यो छे तेवा समस्त अविनयोथी मुक्त पोतानाज पुत्र उपर द्वेष करवा लागी / / 56 // अहनाउमभिप्पायं धणुणा तो रज्जकज्जकुसलेण / भणिओ य दोहराया एस सुओ वरधणू मज्झ // 57 // _____ भावार्थ:-त्यारबाद राज्यकार्यमां कुशल वृद्ध धनुनामना मंत्रीए चुलणीराणीनो अभिप्राय जाणी लेइ तेना यार दीर्घनरेशने कह्य के आ मारो पुत्र वरधनु छे / / 57 / / . संपत्तजोवणभरो निव्वायसहो य रज्जकज्जाणं 1 वणगमणावसरो मे अणुजाणतु जामि जं तत्थ / / 58 / /