________________ : नरभवदिटुंतोवनयमाला जेथी आ कुमार ब्रह्मदत्त कोइपण छलप्रसंगे उपद्रव न पामे ने कुशल रहे / 46 // उवल द्धे जणणीए चरिए तो तिब्वअमरिससण्णाहो / कुमरो कालवसेणं संजाओ जुव्वणाभिमुहो // 47 // भावार्थः-त्या रबाद कुमार ब्रह्मदत्त कालक्रमे यौवनने पाम्यो अने माताना बदचलनने जाणी तेणीना उपर वैरनी लागणी धराववा लाग्यो / 47 / जणणीए जाणणकए जे जे असमाणजाइणो जीवा / कोइलकायाइया विसरिसआयारकरणरया // 48 / / अंतो रायसहाए दोहसमक्ख तओ य दंसेइ / भणियं सकोववयणं अम्ह निगिण्हामि अहमेए / / 49 / / भावार्थ:-माताने चेताववा माटे जे जे असमान जातिना अनुचित आचार एटले विषयक्रीडामां तत्पर कोयल कागडादिक जीवो के तेने राज्यसभानी अंदर कोइ प्रसंगे दीर्घनरेशनी सामे अनुचित चेष्टा करता देखाडीने गुस्साथी का के-हुँ ए पक्षीओने शिक्षा करीश // 48-49 // अण्णो चिय जो मज्झं रज्जेणायारकारयजणो जो / दूरं णिगिहियव्वो निरिविक्कमणेण सो सम्वो // 50 // भावार्थ:-ने राज्यकर्मचारीयोने संबोधीने का के-जे अन्य (बीजो) अज्ञानी मारा राज्यमां अनाचार करतो होय तेने तमारे निःशंकपणे पूरी शिक्षा करवी // 50 //