________________ (1) चुल्लकदृष्टांत : : 13 इयरो उण. छिद्दरओ कुडिलगई विसयगिद्धविसपुण्णो / चुलणीए रतत्थो संजाओ दीहपिट्ठोव्व / / 43 / / - भावार्थः-आ तरफ दीर्घनरेश पण छिद्रान्वेषि वक्रगतिवाला विषथी भरेल साप जेवो, वक्रगतिवाला विषयनी आसक्तिरुप झेरथी भरेलो ते राणीमां वधारे आसक्त थयो / / 43 / / नायं नीसेसमिणं चरियं चुलणीइ सीलभंगफलं / धणुणामच्चेण चितियं च नो कुमर कुसलं खु // 44 // भावार्थ:-आ चुलणीराणीना ब्रह्मचर्यना भंगरुप सर्वदुश्चरित्रने धनु नामना वजीरे जाण्यं ने विचार्यु के हवे आवा प्रसंगमां ब्रह्मदत्तकुमार- कुशल नथी // 44 // भणिओ य वरधणूणा पुत्त! कुमरस्स अप्पमत्तेण / कज्जा सरीररक्खा णो जणणी 'सुंदरा जेण // 45 / / भावार्थ:-मंत्रीए पोताना पुत्रने का-हे पुत्र ! तहारे कुमारनी सावधानंताथी शरीररक्षा करवी कारण के तेनी माता चुलणी सदाचारवाली नथी / 45 / समए य माऊचरियं जाणावेयन्वओ तए सव्वं / जेण न पावेज्ज इमो उवद्दवं केणइ छलेण / / 46 // भावार्थ:-वली हे पुत्र ! प्रसंग आवे ते वखते कुमार ब्रह्मदत्तने माताना वर्तनथी जाणकार करवो 1 सुंदरी इत्यपि /