________________ (1) चुल्लकदृष्टांत : कत्थइ लमए कडगा-इएसु पत्तंसु बंभनिवपासे / ___ भावार्थः-कोइ समये कटक विगेरे राजाओ ब्रह्मराजानी पासे आवेल हता तेवामां ब्रह्मराजाने पोताना स्नेहिवर्गने शोक उत्पन्न करनार शिरोव्यथा [माथानी पीडा] थइ आवी / / 35 / / सत्थत्थपारगेहि पहाणवग्गेहि ओसहाईसु / सम्म पउजिएसु न नियत्तइ जा सिरोवेयणा // 36 / / भावार्थ:-वैदकशास्त्रना पारगामी के शास्त्रचिकिसाना माहीतगार शास्त्रार्थना पारगामी एवा प्रधानवर्गोए उचितरीते औषधादिकनो प्रयोग कर्यो छतां पण ते राजानी शिरोवेदना दूर न थइ / / 36 / / मरणावसाणमेयं जायमिइ निछयं मणे काउं / वाहरिया कडगाइ समप्पिया बंभदत्तस्स / / 37 // जह सयलकलाकुसलो पावियनीसेसरज्जपब्भारो / जायइ सुओ ममेसो तह कायव्वंति वाहरिया // 38 // . ... भावार्थः-आ मरणावसान प्राप्त थयुं छे एंवो मनमां निश्चय करी कटकादि मित्र राजाओने बोलावी ब्रह्मदत्तने सोंपी जेवी रीते संपूर्ण कलामां कुशल पोताना राज्यभारने लइ शके तेवो अमारो पुत्र थाय तेवी रीते तमारे प्रयास करवो ए प्रमाणे कह्य // 37-38 / /