________________ 10 : : नरभवदिद्रुतोवनयमाला जेवो कुलध्वज अने कुलमां, प्रदीप जेवो पृथ्वोमंडलमों मणी जेवो अने गुणरत्नोनी खाण एवो एक पुत्र थशे / / 30 -31 / / साहियणवमासंते संतेसु य वाउधलिडमरेसु / उज्जोइयकक्कुहचक्को जाओ तणुओ कयचमक्को / / 32 // भावार्थ:-गर्भने नव मास उपरांत केटलाक दिवसो थया बाद पवन ने धूलना उपद्रवो जेवां के-वंटोलिओ, आंधी विगेरे शांत थयाथी जेणे दिशाओना मंडलने प्रकाशित कर्य छे तेवो चमत्कारी, तेजस्वी पुत्र ते राणीने जनम्यो // 32 / / वद्धामणयाएसु विहिएसु विहियसयकम्मेसु / समयंमि तस्स णा विणिम्मियं बंभदत्तोत्ति / / 33 // भावार्थ:-बधामणी विगेरे व्यवहारोने बोजी प्रसूतिकर्मने लगती क्रियाओ विधिपूर्वक थया बाद वखत आवे ते बालकनुं ब्रह्मदत्त एवं नाम राखवामां आव्युं // 33 // सियपक्खसोममंडल-मिव बुढि एस लधुमारद्धो / लच्छीनिवाससिरिवच्छ-लच्छवच्छच्छलप्पएसो // 34 / / __ भावार्थ:-जेना वक्षस्थल [ हृदय ]मां लक्ष्मीनिवास श्रीवत्स जेवा शुभ लक्षणो छे तेवो ते कुमार शुक्लपक्षना चंद्रमंडलनी जेम अनुक्रमे वधवा लाग्यो // 34 / /