________________ (1) चूल्लकदृष्टान्त : स्वप्नां जोया जहा गयवसहसीहअभिसेयदामससिसूरमंडलपडाया / कुंभो सरजलनिहिणो विमाणवररयणगणसिहिणो / / 28 / / __भावार्थ:-जेमके हाथी, बलद, सिंह, लक्ष्मी, पुष्पमाला, चंद्र, सूर्य, ध्वज, कलश, पद्मसरोवर, समुद्र विमान, श्रेष्ठ रत्नराशि अने अग्नि ए चौद स्वप्नां जोया // 28 // तक्खणमेव पबुद्धा सा मुद्धा कहइ बंभनरवइणो / सामि ! मए रयणीए चउदससुमिणा इमे दिट्ठा // 29 // भावार्थ:-तत्काल जागेल ते भोली राणोए ब्रह्मराजाने का के हे स्वामिन् ! आज रात्रिए में ए चौद स्वप्ना जोयां // 29 / / राया रंजियहियओ 'धाराहयनिवकुसुमरोमंचो / फुल्लिदीवरनयणो भणइ इमं देवी ते होही // 30 // अम्हा कुलकप्परुक्खो कुलज्झओ कुलपईवसंकासो / महामंडलमउलमणी गुणरयणखाणी सुपुत्तोत्ति // 31 / / भावार्थ:-राजा पण हर्षित थइ मेघनी धाराथी छंटायेला नीप (कदंब) नामावृक्षनी पेठे पुष्परुप रोमांचयुक्तने प्रफुल्लकमल जेवां नयनवालो थइ देवीने कहेना लाग्यो के तने अमारा कुलनी अंदर कल्पवृक्ष . 1 निपः कदंबवृक्षः /