________________ 8 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला भावार्थ:-राज्यकार्यनी सारी व्यवस्था करनार धनु नामनो मोटो मंत्री हतो, तेनो पुत्र वरधनु पोताना पिताना गुणोथी खाली न हतो / / 23 / / ते पंच वि रायाणो, बंभाइया प्ररूढपणयवसा। विरहं अणिच्चमाणा परोप्परं एवमाहिंसु // 24 / / भावार्थ:-ब्रह्म विगेरे ते पांचे राजाओए परस्पर स्थिर थयेल प्रेमने लीधे विरहने,नहि इच्छता होवाथी ए प्रमाणे विचार्यु // 24 // पत्तेयं पत्तेयं, पंचसु रज्जेसु वरिसमिक्किक्कं / नियपरिवारजुएहि, जुगवं चिय संवसेयव्वं // 25 // भावार्थ:-के पांच राज्यो'पैकी दरेक राज्यमां एकेक वर्षसुधी दरेके पोतपोताना कुटुंबसहित मली साथेज वसवू // 25 // वोलंति मियकाले, केवइए दूरपणयमाणाणं / बहुपुण्णपावणिज्जं, भोगसुहं भुजमाणाणं // 26 / / भावार्थ:-बहुपुण्यथी मेलवो शकाय तेवा भोगसुखने भोगवता ने प्रेमपूर्वक रहेता है.ओनो केटलोक काल एज प्रमाणे व्यतीत थयो / / 26 / अहमण्णया कयाइ, रयणिए मज्झभागसमयंमि / ' चुलणी अइपुण्णफला चउदससुमिणाई पिच्छेइ / / 27 / / भावार्थ:-एटलामां बीजे वखते क्यारेक रात्रीना मध्यभागमा चुलणी राणीए अतिपुण्यना उदयथी चौद