SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (1) चल्लकदृष्टान्त : भेद अने दंडनी राजनीतिथी दूरसुधी पोतानी कीति फेलावी हती / / 19 // तस्सुब्भडरिउभडकोडिघडणउन्भडियपुरिसकारस्स 1 बहुपणयरयणखाणी, चुलमीनामा पिया आसी // 20 // भावार्थ:-पराक्रमी शत्रुओनी हरोल अथवा कोटिगमे सुभटोनुं बल तोडवामां जेणे पराक्रम फोरव्यु हतुं तेवा ते ब्रह्मनामा नरेशने बहुन म्र अने रत्ननी खाण अथवा प्रणत. जे स्नेह तेरूप रत्न तेनी खाण समान एवी चुलणी नामनी स्त्री हती // 20 // अविसु तस्स मित्ता, निक्कित्तिममित्तभावसंजुत्ता / चउरो चउराणण-चउरबुद्धिकलिया महीवाला // 21 // भावार्थ:-तेना निष्कृत्रिम एटले खरेखरी मित्रतावाला बुद्धिशालीने ब्रह्मा जेवा निपुण चार राजाओ मित्रो हता // 21 // कासीनाहो कडओ१, कडेभदसो य गयपुराहिवइ२ / कोसलसामी दोहो३, चपाहिव पुप्फचूलोत्ति४ / / 22 / / .. भावार्थ:-जेमां एक काशीनो राजा कटक, ने बीजो गजपुरनो स्वामी कडेभदत्त, श्रीजो कोशलदेशनो राजा दीर्घ ने चोथो चंपानगरीनो पूष्पचूल . नामे राजा हतो / / 22 / / / सुहरज्जकज्जचिता,-धुरंधरो तह धणू महामच्चो / तस्स य पुत्तो वरधणू धणियं कलिओ पिउगुणेहिं / / 23 / /
SR No.004393
Book TitleNarbhavdrushtantopnaymala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1996
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy