________________ 7 रावावेध दृष्टांत : : 127 हलसाथे मोटो कोलाहल करी मुक्यो अने तालीओ पाडी. हसवा लाग्या / / 42 // एवं सेसेहि वि नर-वइस्स पुत्तेहिं कलविउत्तेहि / जह तह मुक्का बाणा न कज्जसिद्धी परं जाया // 43 // भावार्थ:-ए प्रमाणे बाकीना कलाविनाना राजपुत्रोए पणं एकेएके दरेके राधावेध अर्थे बाणो छोड्या, परंतु कार्य सिद्धि काइनाथी करी शकाइ नहि / 43 / लज्जमिलतनयणो वज्जासणिताडिउव्व नरनाहो / विच्छायमणी विमणो सोगं काउं समाढत्ता / / 44 / / भावार्थ:-तेथी शरमाइ आंखो चोलतो राजा वज्रना अग्निथी जाणे ताडित न थयो होय ? तेम फिक्का चहेरानो अने खिन्न हृदयवालो थइ गयो, तेमज अफसोस करवा लाग्यो // 44 // भणिओ य तत्थ चेडी-सुएहि कि ?. सोयमित्थ कज्जेसु ? / अग्गियपव्वयबहुली-सागरणामाण उट्ठत्ता // 45 / / थंभसगासे चउरो आगया जाव ताव करकंपो / एगस्स सरो भग्गो अण्णस्स य चित्तविक्खेवो // 46 // दिसिमूढो तह तइओ जाओ भमदिढिओ अह चउत्थो / भण्णे सव्वेवि निवा हसति तह इंददत्तनिवं // 47 // ___भावार्थः-त्यारबाद दासीपुत्रोए राजाने कह्यहे पृथ्वीपाल ! आवा कार्यमां शोक के विचार श्यो