________________ 7 राधावेध दृष्टांतः : : 123 रण्णा भणियं भो सुयणे ! इत्थत्थे कि किलिस्सहसि? सुया। एकिक्कपहाणगुणा सव्दे वि सुआ जओ मज्झं // 29 // भावार्थ:-राजाए कह्य के-हे राजकुमारी ! आटलामाटे नकामुं दुःख शामाटे वहन करे छे ? केमके मारा तमाम पुत्रो एकेक गुणे करी श्रेष्ठता धरावनारा विद्यमान छे / / 29 / / उचियपएसे य तओ सबेयरभमिरचक्कातिल्लो / सिररइयपुत्तिगो लहु महं पइट्ठाविओ थंभो // 30 // भावार्थः-त्यारबाद योग्यस्थान उपर चारे तरफ घुमनार चक्रोनी पंक्तिवालो अने अग्रभाग उपर पुतलीवालो एक मोटो स्तंभ (थांभलो) जलदी प्रतिष्ठा (स्थापन) करवामां आव्यो / / 30 / / अक्खाडओ य रइओ बद्धा मंचा कयाइ उल्लोया / हरिसुल्लसंतगत्तो आसीणो तत्थ नरनाहो // 31 / / भावार्थ:-अने एक अखाडो कराव्यो, जेमां बेसवा माटे मांचडाओ बांधवामां आव्या, सारा सारा तोरणो बंधाव्या ते मांचडाना उपर खुशीथो मलकातो इंद्रदत्तराजा बेठो // 31 // - उबविट्ठो नयरिजणो आहूवा रायणा निययपुत्ता / वरमालं घेतणं समागया सावि रायसुया / / 32 / /