________________ 6 स्वप्न दृष्टांत : : 111 ब्राह्मणना स्थानमा व्यवहार अने बाकुलाना दानना स्थानमा मार्गानुसारि गुण जघन्यपुण्य जाणवू / / 94 // जह पहियाणं साला सामायारी तहा वरा सुद्धा / जह सुविणं चंदस्स य पाणं तह सणावत्ति / / 95 // ___ भावार्थः--मुसाफरखानारूप शुद्ध समाचारी, अने स्वप्नने विषे चंद्रमाना पान जेवु दर्शन प्राप्त थयु तेम जाणवू // 95 // जह अण्णे कप्पडिया तह मिच्छादट्टिणो मुणेयव्वा / सुविणफलं वाहरियं मंडयमिव विसयसुहलाहो / / 96 / / भावार्थ:-अने जे मूलदेवनी जोडे चंद्रपानस्वप्न जोनारा रके पेला जे बीजा कापडियाओने पोतानु स्वप्न कहेवाथी तेओए तेने कह्य के तने रोटलानो मांडो मलशे तो रोओ स्वप्न फलना अजाण होवा छतां असंबद्धस्वप्नफल कहेनारा ते कापडियाओ मिथ्यादृष्टिओ जाणवा, मांडा जेवा तुच्छ फलरूप विषयसुखनी प्राप्ति जाणवी // 96 / पुष्फफलपुण्णहत्थो विवेयभत्तीमहग्घसंजुत्तो / सुविणुण्हुव्वय सुविहिय-गुरुपासे फलं च पुच्छेइ / / 97 / / भावार्थ:-पुण्यफल समुदायरूप विवेक भक्ति अने स्वप्नपाठकरूप गुरु जाणवा, तेवा गुरुने संसारी जीव