________________ 108 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला पत्तो रायसहाए मुत्ताए मंडिए चउक्कमि / सिंहासणोवरि गओ पणओ सामंतचक्केण // 85 / / . भावार्थः-त्यारबाद राजसभाने विषे गयो अने मोतीथी पूरेल चोकीउपर बिराजमान सिंहासनउपर आरूढ थयो के तुरत ज समस्तसामंतसमहे पण राजा तरीके स्वीकारी प्रणाम कर्यो / / 85 / / जाओ य महानरवई पयावपरिभूयवेरिनरनाहो / सो रज्जरंजियमणो माणइ माणं जहिच्छाए // 86 // भावार्थः-मलदेवे राज्यत्व ( राज्यपणुं ) प्राप्त करी अनुक्रमे सकलदुर्जयशत्रुराजाओने दमी निष्कंटक राज्य भोगववाना सुखने इच्छा' मुजब भोगववा लाग्यो // 86 // जाओ जणे पवाओ जह इमिणा चंदमंडलं सुविणे / पीयं तस्स पसाएण पावियं एरिसं रज्जं // 87 / / भावार्थ:-लोकामां पण एवी जनश्रुति (वार्ता) फेलावी के आ मूलदेवे स्वप्नमां चन्द्रमंडल जोयु हतु, अने तेथीज आवं अपूर्व राज्य तेने प्राप्त थयु छे / / 87 // सुणियं च तेण कप्पडियन रेण कि एरिसं न मे जायं? / नरनाहत्तं विण्णाणदोसाओ जणेण सो भणिओ / / 8 / /