________________ 6 स्वप्न दृष्टांतः : : 107 सो मूलदेवतेणो सम्मुहमितो तओ गईदेण / वारिया गलगज्जा हएण हेसारवो विहिओ / / 82 // भावार्थ:-तेटलामां गधेडा उपर चडेल, काणावाला छत्रवालो, रामपात्रोनी हारडीने पहेरेल, मस्तकथी मुंडायेल, लीं बडाना पांदडाने धारण करेल अने काजलथी लेपाएल ते मूलदेवने लोकोना टोला वच्चे हस्तिए जोयो अने प्रसन्न थइ गर्जारव कर्यो .तेमज घोडे पण हेषारव शब्द को / / 81-82 // कलसं घेतूण करी अहिििचय नेइ निययखंधमि / ढलियाओ चामराओ छत्तं उवरि टिओ झत्ति / / 3 / / भावार्थ:-हाथीए कलशथी अभिषेक करी ते मूलदेवने पोताना स्कंध उपर चडावी दीधो अने चामरो हलवा लाग्या, तेमज तत्काल छत्र पण उपर धारण थइ गयु / / 83 // पूरियसयलनहंगण-मग्गं बाहे पवाइयं तूरं / अइमुहलो जयसद्दो पउँजिओ बंदिवंदेहिं // 84 / / ____ भावार्थ:-वली समस्त आकाशमंडलने व्याप्त करनार तूर्य (वाजिबनो) नाद थयो, आ तरफ भाटचारणोए मोटो जयजय शब्द करी मूक्यो अने बंदिवानोए गुणगान कर्या // 84 / /