________________ : नरभवदिटुंतोवनयमाला आपी ते मूलवेव पोताने बंधायेल अने वधभूमि तरफ लइ जवातो जोइ विचारवा लाग्यो के-आ अणधायु शु उपस्थित थयु ? शु प्रथमनुं स्वप्नपाठकनुं कथन मिथ्या ज थशे ? आवो विचार करे छे तेटलामां तेना प्रबल पुण्यना परिपाकथी प्रबल शूलना रोगनी वेदनाथी विह्वल थइ पूत्र विनानोज ते नगरीनो राजा मरणने शरण थयो अर्थात् मरी गयो, त्यारबाद राज्यना भोगवटा माटे पंचदिव्यो (छत्र, चामर, हस्ति आदि) करी योग्य मनुष्यनी तजवीज करवी शरु थइ / / 76-77-78 // तंबेरमो तुरंगो छत्तं चामरजुगं च तह कलसो / तो देवयाओ लहुओदीरंति एए सुरज्जस्स // 79 // मग्गिज्जइ नररयण जोग्गं रज्जस्स चच्चराईसु / दिव्वेहि नेहि नयरीए सव्वओ हिंडमाणेहिं / / 80 // __ भावार्थः-हस्ति, घोडो, छत्र, चामरयुग्म अने कलश आ पंचदिव्यसाथे नगरमां चोमेर सरीयान रस्ता उपर भमता भमता लोकोए राज्ययोग्य नररत्न माटे देवताओ पासे याचना (मागणी) करी // 79-80 // दिट्ठो य खरारूढो छित्तछित्तो सरावमालगलो / पिचुमंदपत्तजुत्तो मुंडियसीसो य मसिसरीरो // 81 / /