________________ 6 स्वप्न दृष्टांत : : 105 पाठके कहेल फलने स्वीकारी लीधुं / / 73 / / . पत्तो कमेण बेण्णायडंमि परिचितिउं तओ तेण / अच्चंतनिद्धगोहं भमामि कह णयरमज्झमि / / 74 / / . भावार्थ:-अने अनुक्रमे बेनातट नामना शहेरमां आवो विचार्यु के-हं अत्यंत दरिद्र छु, तेथी शहेर वच्चे आवी स्थितिमां केवी रीते भमवा (फरवा) नीकलं / / 74 // तो रयणीए ईसरगिहमि एगमि खणियखत्तो सो / ..." आरक्खिएहिं गहिओ. बद्धो नीओ य करणंमि / / 75 / / ___ भावार्थ:-एम विचारी रात्रिमा एक धनाढ्यना घरमां खातर पाडयु. परंतु पहेरगीरोए तेने पकडी लीधो, अने बेडीना बंधनथी जकडी बांधीने ते चोर (मूलदेव) ने प्रधाननी पासे लाव्या / / 75 / / चोरस्स वहो दंडोत्ति नीइसत्थं सरंतओ अमच्चो / तं बज्झमाणदेइ निज्जइ जा. बज्झभूमीए // 76 // ता चितेइ किमेयं सव्वं पुवुत्तमलीयगं होही / तस्सेव पयडपुण्ण-पभावसओ पुरे तत्तो // 77 / / उग्गाढसूलवियणा-विहुरसरीरो अपुत्तओ मरइ / नरनाहो दिव्वाइं अहिवा सिझंति ते पंच // 78 / / भावार्थ:-मंत्री पासे लावतां मंत्रीए नीतिशास्त्रानुसार 'चोरने मारवानी शिक्षा छे' तेम आज्ञा