________________ 6 स्वप्न दृष्टान्तः : : 101 माराउपर महेरबानी करी आ अडदना बाकुला स्वीकारो (ग्रहण करो) 59 / / मुणिणावि दव्ववेत्ता-इएहि परियाणिऊण संतुद्धि / पज्जते ते पत्ते गहिया महयाभिमाणेण / / 60 // भावार्थ:-मुनिए पण द्रव्य, क्षेत्र, काल, भावनो विचार करी तेने (मूलदेवने) संतुष्ट जाणी मोटा प्रमोद (हर्ष) थी पात्रमा ते अडदना बाकुलाने लीधा // 60 / / धण्णाणं अम्हाणं कुम्मासा होति पाराणए जत्थ / इय भणइ मूलदेवो जा परितुट्ठो तओ गयणे // 61 / / देवेहि वयणमुत्तं मग्ग वरं पभपिओ वरेइ तओ। गणियं च देवदत्तं दंतिसहस्साहियं रज्जं // 62 // भावार्थ:-अमारा आत्माने धन्य छे ! के जेओना अडदना बाकुला पण पारणाना उपयोगमां आव्या, आ प्रमाणे मलदेव बोलेज छे तेटलामां आकाशमांथी देवोए का के-जे तने इष्ट होय ते मागी ले, अमो तारा उपर अत्यंत प्रसन्न छोए, अवसर जोइ मूलदेवे पण देवदत्तागणिका अने हजारो हाथी उपरांत राज्यनी मागणी करी // 61-62 // कुम्मासेहिं सेसेहिं भोयणं तेण विहियं च / अमयमयभोयणेणेव तत्ति संपाविओ बाढं // 63 / /