________________ 6 स्वप्न दृष्टांत : : 99 भणिओ भट्ट ! पयट्रसु नियकज्जे संभलाहि मं जइया / संपत्तरज्जमेज्जसु तइया जं दिम्मि ते गामं // 52 / / भावार्थ:-अने ते ब्राह्मणने का के-जा पोताना काममा प्रवृत्ति कर परंतु ज्यारे मने राज्य पामेल सांभले त्यारे तुं आवजे हुँ तने गाम आपीश / 52 // दिण पहरदुगे गामं समागओ तत्थ भिक्खणट्टाए / करकलिअपत्तपुडओ अकलिट्ठमणो पविट्ठो सो // 53 / / भावार्थः-एम कही खरे बपोरे ते गाममां आव्यो अने हाथमां पांदडानो पडीयो लइ प्रसन्नचित्ते भिक्षा अर्थे नीकली गयो / / 53 / / कुम्मासेहि चिय केवलेहिं पूरओ पुडओ / चलिओ तलागतीरे अच्चतमणुस्सुओ सणियं // 54 // एत्यंतरं मासो-धवासतववसविसोसियसरीरो / उज्जाणाइइंतो गामाभिमुहो मुणी एगो // 55 / / पारणगकए दिट्ठो अणेण पप्फुल्ललोयणमणेण / तो चितिडं पयट्टो अस्थि मे पुण्णपरिवाडी // 56 // चिंतामणीव लद्धो कइयावि मए य कप्परुक्खोवि / भोयणसमए एसो न लब्भइ भागहीणेहिं / / 57 // भावार्थ:-केवल अडदनाज बाकुला भिक्षामां मल्या, तेने लइ नगरनी बहार तलावना तीर (कांठा) उपर जवा माटे धीरे चालवा लाग्यो, एटलामां तेणे