________________ पञ्चकल्पस्य विचारा: दसठाणठिओ कप्पो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स / कयरे दस ठाणा ऊ ? भण्णइ आचेलगाइ इमे // 1270 // आचेलुकद्देसिय 2 सेजायर 3 रायपिंड 4 किइकम्मे 5 / षय 6 जेट्ट७ पडिकमणे 8 मासं 9 पज्जोसवणकप्पे 10 // 1271 // एपहिं दाह ठिओ ठियकप्पो होइ उ मुणेयव्यो / (दार)। चउहि ठिओ छहिं आठओ अठियकप्पो पुण इमेहि // 1272 / / सेन्जायरपिंडे या 1 किकम्मे 2 चेव चाउजामे य 3 / रायणियपुरिसजेट्टो 4 चउसु वि एएसु होति ठियो / / 1273 // आचेलुकद्देसिय 2 निवपिंडे चेव 3 तह पडिक्कमणे 4 / मासं 5 पज्जोसवणा 6 छप्पेए अणवट्टिया कप्पा // 1274 // दुविहा होंति अचेला संताचेला असंतचेला य / तित्थयर असंतचेला संताचेला भवे सेसा // 1275 / / एत्तो सावजाई चेलाई संजमोवघाईणि / वजित्ता विहरंतो होइ अचेलो अपरिजुण्णो // 1281 // निग्गहियरागदोसो अणवज्जेहिं अहापरित्तेहिं / अप्पेहि वि विहरंतो होइ अचेलो उ परिजुण्णो॥१२८२ / / इति स्थितास्थित-कल्पविचारः // संखेत्ता विवपवहे जह वढइ वित्थरेण वच्चंती। उदहितेण वरनई तह तह सीलगुणेहि वड्ढाहि / / 1406 // सुस्सूसगा गुरूणं चेइयभत्ता य विणयजुत्ता य / सज्झाए आउत्ता साहूण य वच्छला निच्चं // 14.9 / / एस अखंडियसीलो बहुस्सुओ य अपरोवतावी य / . ' चरणगुणसुटिओ त्तिय धण्णा णयरीइ घोसणयं // 1410 // इति अनुशास्तिः॥