________________ 78 नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये उपसंते खीणमि व जो खलु कम्ममि मोहणिज्जमि / छउमत्थो व जिणो वा अहखाओ संजओस खलु॥१०१॥ इति पुलाकादिविचारगाथाः // . .. आहारे उवहिमि य उवस्सए तह य पस्सवणए य / सेजानिसेजठाणे दंडे चम्मे चिलिमिणी य // 723 // अवलेहणिया कण्णाण सोहणे दंतधोवणे चेव / पिप्पलगसूइनखाण छेयणे चेव सोलसमे // 724 // इति षोडशक उपधिः॥ पुत्तं जणेज कोई आयरिओ मज्झ अपरिवारो ति।। तेसि सहाओ होहिइ पवावेउ तु सो कप्पे // 782 // एमेव य पच्छाया पुरिसं खेत्तं च कालमासज्ज / तिण्णादी जा सत्त तु परिजुण्णा पाउणेजाहि // 880 // नरिमो असह कालो सिसिरो खेत्तं व उत्तरपहाई / गिम्हे वि पाउणिजातारिसयं / देसमासज्ज // 801 // . इति प्रावरणविचारः पञ्चकल्पे / कप्पा दुब्बलसंघयण णं सीयपरीमहवारनिमित्तं / हिरिपच्छायणनिमित्तं वत्थगहणं अणुप्णायं // // अजाणं पुण पंच वसहीओ घेत्तवाओ। कम्हा? जम्हा तासिं दुमासो कप्पो, नवगगहणं तु सेताणं संजयाण वुइढावासे अइकंते उउवद्धे मासे अइए वासावासे चउम्मासे अइए ओग्गहो तिविहो न भवइ / निक्कारणियाण सचित्ताचित्तमीसओ / अह पुण विसुद्धेसु आलंबणेसु अइथिए वि काले अच्छंति ताहे ओग्गहो भवइ / काणि पुण ताणि आलंबणाणि ? नाणदंसणचारित्ताणि जाव तं कज्जं न वोच्छिन्जर ताव ओग्गहो न लब्भइ / वोच्छिण्णे तम्मि कज्जे असिवासु वा विरहिए नस्थि ओग्गहो / इति अवग्रहविचारः। लीहालेढुगमाई जो य पढंतो न करइ वक्खेव / / अव्वक्वित्तो एसो आउत्तो अणण्णमणसो // 1246 //