________________ 72 नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये तत्तो य वुड्ढसीले आयारे संपया चउद्धेसा 4 / / चरणं तु संजमो ऊ तस्यिं निच्च तु उवओगो // 2566 बहुसुय 1 परिजियसुत्ते 2 विवित्तसुत्ते य हाई बोद्धव्वे / घोसविसुद्धिकरे या 4 चउहा सुयसंपया होइ // 259 / / घोसा उदात्तमाई तेहिं विसुद्ध तु घोसपरितुद्ध। एसा सुओवसंपय सरीरसंपयमओ वोच्छ // 262 // आरोह-परीणाही 1 तह य अणुत्तप्पया सरीरमि 2 / पडिपुण्णमिदिएहि य 3 थिरसंघयणो य बोद्धव्वो 4 // 263 // तपु लजाए धाऊ अलजणीमो अहीणसवंगो / होइ अणुत्तप्पेसो अविगलइंदी उ पडिपुण्णो // 265 // वचनसंपत् यथा आदेज 1 महुरवयणे 2 अनिसियवयण) 3 तहा असंदिछ / आदेज गज्झवको अत्थवगाढ भवे महुर॥ 267 // वायणभेया चउरो विजिओदिसणा 1 सं दिसणओ अ 2 / परिनिव्वयनिवायाए 3 निजवणा चेव अत्थस्स // 270 // 'विजिय'त्ति परीक्ष्येत्यर्थः।। निजवओ अत्थस्स जो उ वियाणाइ अस्थत्तस्त / अत्थेण वि निव्वहई अत्थं पि कहेइ ज भणियं // 275 / / मइसंपय चउभेया उग्गह 1 ईहा 2 अवाय 3 धारणया 4 / उग्गहमइ छब्भेया तत्थ इमा होइ नायव्वा // 276 // खिप्प 1 बहु 2 बहुविह' च 3 धुव 4 अणिस्सिय 5 तह य होइ असंदिद्ध 6 / ओगिण्हइ एवीहा अवायमविधारणा चेव // 277 / / एत्तो उ पओगमई चउविहा होइ आणुपुन्वीए / आय १पुरिसं च 2 खेत्तं 3 वत्थु वि य पउंजए वायं // 283 // बहुजणजोगं खेत्तं 1 पेहे तह फलगपीढमाइण्णं 2 / पासासु एए 3 दोण्णि वि काले य समाणए कालं 4 // // इति द्वात्रिंशत् स्थानानि / ततश्च आ भणिया बत्तीसा तं छोढूण विणयपडिवति / चउभेयं तो होइ छत्तीसा एस ठाणाणं // 301 / /