________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये अहवा दोण्णि व तिण्णि व समग पत्ता समत्तकप्पीओ। सव्वेसिं तु तेसिं तं खेत्तं होइ साहारणं // 94 // पडिभग्गेसु मएस व असिवाइकारणेसु फिडिया वा / एएण उ एगागी असमत्ता वा भवे थे। / / 71 / / इंदकीलमणोग्गाहो जत्थ व राया अहिं व पंच इमे / अमच्च पुरोहिय सेट्टी सेणावइ सत्थवाहो य // 78 // यत्रेन्द्रकीलः तत्रानवग्रह इत्यर्थः / सारूवी जा जीवं पुवायरियस्स जे य पवावे / अपव्वाविए स छंदो इच्छाए जस्स सो देइ // 140 / / जो पुण गिहत्थमुंडा अहवा मुंडे। उ तिण्ह वरिसाणं / आरेणं पवावे सयं च पुवायरिये सव्वं // 141 // अपग्वाविए सछंदा तिण्हं उवरिं तु जाणि पवावे / अपवावियाणि जाणि य सो वि य जस्सिच्छए तस्स // 142 // तओ वत्तव एयस्स गणहरत्त अणुण्णाय, वायाए न सके। वोत्तुं ताहे तस्स उवरि चुन्नानि च्छुभंति एस गणहरो ठविओ त्ति / एग व दो व दिवसे संघाडट्टाए सो पडिच्छेज्जा / असई एगाणी उ जयणा उवही न उवहम्मे / / 193 / / सइघाटकार्थ एग द्वे वा दिने प्रतीक्षेत, असति यतनया एकाकिनोऽपि नोपहन्यते इति तात्पर्यार्थः / ताओ. संजईओ दुविहाओ-कालचारिणीओ अकालचारिणीओ य। तत्थं कालचारिणीओ जाओं पक्खियासु पंति, एयवइरित्तेसु एजमाणीओ अकालचारिणीआ, ताओ पुण अकालचारिणीओ सज्झायट्टाए वा पंति, भत्तं पाणं वा दाउं गेण्हिउ वा इंति, कंदप्पट्टाए वा इंति, अकालचारिणीसु बहुदोसा वसही /