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________________ 58 निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये अदुवा चियत्तकिच्चे जीवकाए समारभे / सेहे दसमे वुत्ते जस्सुवट्ठावणा भणिया // 6411 // अपवादपदे कृत्वा ततः पुनः करोतीत्यर्थः / केवलगहणा कसिणं जइ वमई दसण चरित्तं वा / तो तस्स उवटवणा देसे वंतमि भयणा उ // 6415 // अप्पच्छित्ते पच्छित्तं पच्छित्ते अइमत्तया / धम्मस्सासायणा तिव्वा मग्गस्स य विराहणा // 6422 // सपडिक्कमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स य जिणस्स / मज्झिमयाण जिणाणं कारणजाए पडिक्कमणं // 6425 // गमणागमणवियारे सायं पाओ य पुरिमचरिमाणं / नियमेण पडिकमणं अइआरो होउ वा मा वा // 6426 // ठवणाकप्पो दुविहो अकप्पठवणा य सेहठवणा य / पढमो अकप्पिएणं आहाराई न गेण्हावे // 6442 // अकल्पिकेन आहारादिकं न ग्राहणीयम् इत्येकः / अटारसेव पुरिसे वीसं इत्थीओ दस नपुंसा य / दिक्खेइ जो न एए सेहठवणाए सो कप्पो // 6443 / / द्वितीयोऽयम् / खेत्तकप्पो जहा-सिंधुविसर पाउपहिं हिंडिजइ, वासावासे मासकप्पेण वा पाउएहिं हिंडिजा, अभाविओ सेहो सो पाउए हिंडइ आव भाविजइ, असहू सीयं नाहियासेइ उहं वा काले पच्चूसे पविसंतो भिक्खाइसु अट्टाए अद्धाण दंडपरिहारेण पाउया जइ सागारियपडिबद्ध वि या तेण पए पाउया निग्गच्छति / इति कल्पचूर्णी षष्ठोद्देशके / समाप्ता: कल्पविचारा इति / व्यवहारविचारा यथा जं जस्स व पच्छित्तं मायरियपरंपराए अविरुद्धं / जोगा य बहुविगप्पा एसो खलु जीयकप्पो उ // 12 // HELHI
SR No.004392
Book TitleNishesh Siddhant Vichar Paryay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year1973
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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