________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये चूर्णिस्तु-जत्थ मासकप्प करिति तत्थ उवहिं उप्पायंति, तओ निग्गएहि दो मासे परिहरित्ता गेण्हियवं आगंतवं वा / इति मासकल्पानन्तरोपधिग्रहणविचारः // प्रावरणविचारः - पाणदयानिमित्त मसगाइणं जयणा भवउ त्ति पाउणइ सीए वि पाउणइ / इति प्रावरणविचारः / / आयरियस्स आयरियं पाहुणयमागय अणब्भुट्टितस्स, आयरियस्स वसभं पाहुणयमागयं अणब्भुट्टितस्स एक / भिक्खु अणभुद्वितस्स खुड्यं भिन्नमासो // जहि नत्थि सारणा वारणा य पडिचोयणा य गच्छमि / सो उ अगच्छो गच्छों संजमकामीहि मोत्तवो॥ // असढेण समाइण्णं जं कत्थइ कारणे असावज / न निवारियमन्नेहि य बहुमणुमय मेयमाइण्ण // 4499 // थुइमंगलंमि गुरुणा उच्चारिए सेसगा थुई बेति / पम्हुट्ठमेरसारण विणओ य न फेडिओ एवं // 4501 // उप्पन्नकारणमि किइकम्म जो न कुज दुविहं पि / पासत्थाईयाणं उग्घाया तस्स चत्तारि // 4540 // अणवट्रिया तहि हुँति उग्गहा रायमाइणो चउरो। पासाणंमि व लेहा जा तित्थ ताव सक्कस्स // 4778 // देविंदराय-उग्गह गहवइ सागारिए य साहम्मी / पंचविहंमि परूविए नायव्वं जं जहिं कमइ // 4784 // अक्खेत्तं केरिसं? इत्याह भाष्यकार: - इंदक्खीलमणुग्गहो जत्थ य राया अहिं व पंच इमे / सेट्टि अमञ्च पुरोहिय सेणावइ सत्थवाहो य // 4853 // आयरिओ अप्पबिइओ [अप्पबिइओ] गणावच्छेइओ य अप्पतइओ गच्छो परिसा तिन्नि गच्छा, एते पण्णरस उउबद्ध जहण्णेणं जत्थ संतरंति / वासासु सत्तउ गच्छो आयरिओ अप्पतइओ गणावच्छेइओ अप्पचउत्थो एस सत्तउ गच्छो /