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________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये पेहल्लेण वि अड्ढाइज्जे हत्थेहिंतो छ अंगुलाणि अन्भहियाणि कीरंति। इति कल्पविचारः // कप्पा आयपमाणा अड्ढाइजा उ वित्थडा हत्था / एयं मज्झिममाण उक्कोसं हुंति चत्तारि // 3969 // संथारुत्तरपट्टा अड्ढाइजा उ आयया हत्था / तेसिं विक्खंभो पुण हत्थं चउरंगुल चेव // 3980 // तिणि कसिणे जहण्णे पंच य दढ दुबलाई गेण्हेजा। सत्त य परिजुण्णाई एय उकोसग गहण // 3986 // वस्त्राणीति शेषः / अक्खा संथारो या दुविहो एगंगिएयरो चेव / पोत्थगपणगौं फलग बिइयपए होइ उक्कोसो // 4099 // इति सामान्येन उत्कृष्ट उपधिर्भणित: कल्पे / भाग्यस्य चूर्णी तुअक्खा संथारमो दुविहो एगंगिओ अणेगंगियो य / जौं वा अणिहिसित्ता कीयंतं जइ कीयं संत भणइ इमाणि मम होहिंति, इमाणि सेसाण साहूणं देमि त्ति दलमाणस्स कप्पइ / अह निद्दिटुंज साहूणं अणुवट्ठा बियगस्स दिति असइ सेहे अणिच्छमाणे वा परिट्टावेयन्वो। इति प्रवज्याग्रहीतुरुपकरणविचारः / / समणीण नाणत्त निजोगा तासि अप्पणो चउरो / चउरो पंच व सेसा आयरियाईण अढाए // 4234 // प्रवजितुकामाया वतिन्या उपकरणसङ्येयं ज्ञेया // पर्युषणादिविचारः - आषाढपुण्णिमाए वासावासासु होइ अतिगमण / मग्गसिरबहुलदसमीउ जाव एगंमि खेत्तमि // 4280 // 'मग्गसिरबहुलदसमीउ' इत्याद्यों यथा चूणौँ उक्तः - ताहे आसाढपुण्णिमाए अइगंतु पंचहि दिवसेहि पजोसवणाकप्प कहित्ता सावणबहुलपक्खस्स पंचमीए पजोसविती, पज्जोसवित्ता
SR No.004392
Book TitleNishesh Siddhant Vichar Paryay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year1973
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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