________________ नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये आहावसी पहावसी मम चावि निरिक्खसि / लक्खिओ ते मए भावो जवं पत्थेसि गद्दभा! / / 1157 // इउ गया इउ गया मग्गिजंती न दीसई / . .. अहमेयं विजाणामि अगडे छूढा अडोलिया / / 1158 / / सुकुमालग भद्दलया रति हिंडणसीलया / भयंते नस्थि मंमूला दीहपट्टाओ ते भयं // 1159 // सिक्खियवं मणुस्सेण अवि जारिस तारसं। पेच्छ मुद्धसिलोगेहिं जीविय परिरक्खिय / / 1160 // उजेणी जवराया, गद्दभिल्लो नुवराया, दीपिट्ठो अमच्चा, अडीलिया भगिणी / भमरेहिं महुयरीहिं य सूतिजइ अप्पणी य गंधेनं / पाउसकालकलंबो जति वि णिगूढो वर्णानगुजे // 1144 // कत्थ व न जलइ अग्गी कत्थ व चंदो न पागडी होइ / कत्थ वरलक्खणधरा न पागडा होति सप्पुरिसा / / 1245 / वासावासे अइक्कते अट्ठसु उउद्धिएसु मासेसु चारी भवइ / मासे मासेऽन्यत्र गम मत्यर्थः / इति मासः / देवकुल चेईयाई वंदित्ता घरचेइयाई वंदियवाई। तत्थ कहि वि जणेहि सद्धि आयारी वंदमओ जाइ / इयरे भिक्ख चेव हिंडंता वंदिहिति / तत्थ जइ फासुपणं आयरिओ निमंतिजा ता घेत्तव्वं / एमेव य सन्नीण वि जिणाण पडिमासु पढमपट्टवणे / मा परवाई विग्धं करेज वाई अओ विसइ / / 1792 / / चूर्णियथा-सावओ कोइ पढमं जिणपडिमाए पहट्ठवण करेइ / इति कल्पे प्रतिष्ठाविचारः। निस्सकडमनिस्सकडे वावि चेइए सव्वहिं थुई तिन्नि / वेलं व चेइयाणि य नाउँ एक्के क्किया वावि // 1804 / /