________________ बृहत्कल्पस्य विचाराः जा खलु जहुत्तदोसेहि पजिया कारिया सयट्टाए / परिकम्मविप्पमुक्का सा वसही अप्पकिरिया उ॥ 599 // उउबद्धे मासो वासावासासु चत्तारि मासा / एयं दुगुणादुगुण अपरिहरंता जत्थ पुणा पंति सा उवट्ठाणसेज्जा भवइ / यदुक्तंउउबद्ध दो मासे वासासु अट्टमासे अजिता एइ / अन्ने भणंतिजन्थ घासावासं ठिया तीए दो वासारत्ते अण्णत्थ काउं जइ एइ तो उवट्टाणा न भवः / / देविद-राय-गहवइ उग्गही सागारिए य साहम्मि / पचविहंमि पविए मायब्वो जो अहिं कमइ // 669 // अणुण्णाए वि सव्वमि उग्गहे घरसामिणा / तहा वि सीमं छिंदति साहू तप्पियकारिणो // 679 // गीयत्थो य विहारो बीओ गीयत्थनिस्सिओ भणिओ। पत्ता तइयविहारी नाणुण्णाओ जिणवरेहिं // 688 // आयारपकप्पधरा चउदसपुव्वी य जे य त मज्झा / तन्निस्साए विहारो सबालवुड्ढस्स गच्छस्स // 693 // एगमि वा दोसु वा जत्तिएहि वा कप्पेहि बेट्टउ सुह वायणं देइ तेत्तिएहि कप्पेहि. निसजा कीरइ / इति निषद्याविचारः। एते पीठिकाया: / नक्खत्तो खलु मासी सत्तावीसं भवंतऽहोरत्ता / भागा य एक्कवीस सत्तट्टिकरण छेएणं // 1128 // अउणत्तीस चंदो बिसट्टि भागा य हुंति बत्तीस। कम्मो तीसह दिवसो तीसा अद्धं च आइच्चो // 1129 // अभिर्वाड एकतीसा चउवीस भागसय च तिगहीणं / भावे मूलाइजुओ पगयं पुण कम्ममासेणं // 1130 // चूर्णियथा-पत्थ कालमासेणं अहिगारो / तत्थ वि उउमासेण स एव कम्ममासो भण्णइ / एस सो मासो जो सपरिक्खेवंसि अबाहिरियसि कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा मासं पत्थए / इति मासविचारः /