________________ नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये 'देसकुलजाइरूवी' त्यादिगाथासु अणासंसी-न सोयारेदिता पत्थाईणि आसंसह / आसन्नलद्धपइभी-परवाइणा आभट्ठो. लहुँ उत्तरं दाहिइ / सिवो-अकोहणो सोमो-अघोरदिट्टी / तपुण चेइयनासे तद्दवविणासणे दुविहभेए / भत्तोवहिवोच्छेए अभिवायण-बधघायाई // 389 // * अर्थो यथा-तं शृङ्गकार्य चेइयनासत्ति / लोउत्तरघरपडिमविणासे चेइयदव्वविणासे / दुविहभेय त्ति / मारणे उ पञ्चावणे य जो वा भत्तं ति-भिक्खं वारेइ, उहि वा वाग्इ, जहा वा कोइ भणेजा बंभणे अभिवाएह, जो वा बंधइ, जो वा पहारेहिं पिट्टावेह / आइग्गहणेणं जो वा निविसए आणवेइ / , पट्टिवंसी दो धारणा य चत्तारि मूलवेलीओ। मूलगुणेहि उवहया जा सा उ अहाकडा वसही // 582 // वंसगकडणुक्कंबण छायणा लेवण दुवारभूमी य / सप्परिकम्मा वमही एसा मूलुत्तरगुणेलु // 583 // दृमिय धूमिय वासिय उजोइय बलि कडा अवत्ता य / सित्ता संमट्टा वि य विसोहिकोडिगया घसही // 584 // कालाइकंतीवट्ठाणा अभिकंत अणभिकता य / घजा य महावज्जा सावज महप्पकिरिया य // 59 // उउवासासमईया कालाईया उ सा भवे सेजा। सा चेव उवट्टाणा दुगुणादुगुणं अजित्ता // 595 // जावंतिया उ सेजा अन्नेहिं निसेविया अभिकता। अन्नेहिं अपरिभुत्ता अणभिकंता उ पविसंते // 596 // मत्तट्टकडं दाउं जईण अन्नं करिति वजा उ / जम्हा त पुव्वकर्ड वजति तओ भवे वजा // 597 // पासंडकारणा खलु आरंभो अहिणवो महावजा / समणट्ठा सावजा महसावजा य साहूण // 598 //