________________ बृहत्कल्पस्य विचाराः निबलं चणकादीत्यर्थः / ओम-ऊनोदरतेत्यर्थ: / उब्भामे-ग्रामादौ / मंडाल-सूत्रस्येत्यर्थः / चिलिमिलीगाथा यथा छत्थपणगं तु दीहा तिहाथ-रुंदोन्निया असई खोमा / __ एयपमाणं गणणेकमेकगच्छ च जा वेढे // 6.2 // सूची गाथा उवग्गहिया सूयाइया तु एककए गुरुस्सेव / ___ गच्छं व समासजा अणायसेसेक्कसेसेसु // 663 // सूई पिप्पलउ नहछेयण कन्नसोहण उवह ओवगरण एए य एक्के.कका गुरुस्स भवंति / सेसा तेहिं चेव कज करंति / महल्लगच्छ व समासज अणायसा-अलोहमया वससिंगमई वा सेससाहूण एक्कक्का भवइ / तिण्णि उ हत्था दंडा दोण्णि उ हत्थे विदंडा होइ / लट्ठी आयपमाणा विलट्टि चउरंगुलेणूणा // 700 / / तिण्हुपरि फालियाण वत्थं जो फालियतु संसीवे / पंचण्ह एगयरे सा पावइ आणमाईणि // 787 // वेलुमओ वेत्तमओ दारुमओ वावि दंडओ तस्स / रयाणप्पमाणमेत्ता तस्स दसा हुँति भइयव्वा / / 830 // रजोहरणगाथेयम् / एसेव गमो नियमा समणीण पायपुच्छणे दुविहे / नवर पुण णाणत्तं चप्पडउ दंडओ तासि // 855 // एता अपि निशीथगाथा:। জনৰিৰাৰ। যথা सम्मत्ते पुण लद्धे पालयपुहुत्तेण सावओ होइ / चरणोवसमखया पुण सागरसंखंतरा हुंति // 106 / / एवं अप्परिडिए सम्मत्ते देवमणुयजम्मेलु / अण्णयरसेढिवज एगभवेण व सवाई // 107 / / उवसामगसासाथण खयोवसमियच वेययं खइय / सम्मत्तं पंचविहं जह लन्भइ तं तहा वोच्छ॥ 90 //