________________ नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये ओसण्णो वि विहारे कम्मं सिढिलेइ सुलभबाही / चरणकरणं विसुद्धं उवव्हेंतो परूवेंतो // 5436 // . छम्मासे उवसंपय जहण्ण बारस समा उ मज्झिमिया / आवकहा उक्कोसे पडिच्छसीसे तु जाजीवं // 5452 // सुयसुहदुक्खे खेत्ते मग्गे विणणे य होइ बोद्धव्वे / उवसंपया य एसा पंचविहा देसिया सुत्ते // 5521 // पडिलेह दिय तुययट्टण निक्खिवणायाण विणय सज्झाए / आलोय-ठवण-भत्तट्ट-भास-पडलग-सेजायराईसु / / 5555 // अथों-पक्खियाइसु आलोयणं न पउंजति भत्ताइ वा न आलोपंति, संखडीए वा भत्तं आलोएंति निरीक्षन्ते इत्यर्थ: / ठवणकुलाणि न उविति, विसंति भत्तटुं, मंडलिए न भुंजति, गुरुणी वा आलोगे न भुंजंति, अगारभासाहि भासंति, पडलपहिं आणियं अभिड्र्ड भुंजंति सेजायरपिंडं वा भुजंति आइग्गहणेणं उग्माइ न सोहिंति इति गाथार्थः / राइ सद्दे आएस दुर्ग-संझा राई संझावगमो राई / सो रायावंतिवइ समणाण सावओं सुर्वािहयाण ! पच्चंतियरायाणो सब्वे सदाविया तेण // 5752 / कहिओ य तेसि धम्मो सवित्थरो गाहिया य सम्मत्त / अप्पाहियाय बहुसो समणाण सावगी होइ // 5753 // अणुयाणे अणुजाई पुष्फारुहणाइ उक्खिरणगाणि / पूयं च चेइयाण ते वि सरज्जेसु कारिति // 5755 // जइ म जाणह सामि समणाण पणमहा सुविहियाण / दव्वेण मे न कजं एयं खु पियं कुणह मज्झं // 5755 // वीसजिया य तेणं गमणं घोसावणं सरज्जेसु / साहूण सुहविहारा जाया पञ्चतिया देसा // 5756 // समण भडभाविएसुं तेसु रज्जेतु एसणाईहिं / साहू सुहपविहरिया तेणं चिय भद्दगा ते उं // 5757 //