________________ निशीथविचारा: नवभागकए वत्थे चउसु वि कोणेसु होइ वत्थस्स / * लाभी विणासमन्ने अंते मज्झेसु जाणाहि / / 5086 / / नवभागकए वत्थे चउसु, तम्मज्झेसु य दोसु एएसु छसु अंतविभागेसु लाभी भवइ / 'विणासमन्ने'त्ति अन्ने मज्झिल्ला तिन्नि विभागा तेसु विणासं जाणिहीत्यर्थ: / अंजण खंजणकद्दमलित्ते मूसगभक्खिय अग्गिविदड्ढे / तुण्णिय कोट्टिय पज्जव लीढे होइ सुहोअनुहो वा // 5087 // पज्जवलीढ-चर्वितम् / चउरी य दिविया भागा दोणि भागा य माणुसा / आसुरा य दुवे भागा मज्झे वत्थस्स रक्खसो // 5088 // देवेसु उत्तमो लाभो माणुसेसु य मज्झिमो / आसुरेसु य गेलण्ण मज्झे मरणमाइसे // 5089 // उस्सग्गेण निसिद्धाणि जाणि दव्वाणि संथरे मुणिणो / कारणजाए जाए सव्वाणि वि ताणि कप्पंति // 5245 // नवि किंचि. अणुण्णायं पडिसिद्धं वावि जिणवरिंदेहिं / एसा तेसिं आणा कज्जे सच्चेण होयव्वं / / 5248 // इमाओ सत्त पिंडेसणाओ-दायगी असंस?हिं हत्थमत्तेहिं देहित्ति असंसट्टा, संसट्टेहिं हत्थमत्तेहिं संसट्टा, जत्थ उवक्खाडिय भायणे ताओ उद्धरिय देइ छव्वगाइसु एस उद्धडा, जस्स दिजमाणस्स दव्वस्स निफावचणगाइगस्स लेवो न भवइ सा अप्पलेवा, जं परिएसगेण पडिसेवणाए परस्स कडच्छुवाइणा आणियं तेण य तं पडिसिद्धं तं तहुक्खित्तं चेव साहुस्स देइ एस उहिया, जं असणाइगं भोउकामेण कंसाइभायणे गहियं भुंजामि त्ति असंसट्रिए चेव साहू आगओ तं चेव देइ एस उग्गहिओ, जं असणाइगं गिहि उझिउकामी साहू य उवट्टिओ तं तस्स देइ न य तं कोइ अण्णो दुपयाइ अहिलसइ एस उझियधम्मो /