________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये त्ति पहराहि वाहिओ कुहाडो, एगघाए चेव दुहा जायं, पेच्छंति य पुन्वनिव्वत्तिय-सव्वालंकारविभूसियं भगवओ प'डम, सा णेउं रण्णा घरसमीवे देवाययणं काउं तत्थ ठविया / तत्थ किण्हगुलिया नाम दासचेडी देवसुस्सूसाकारिणी निउत्ता / अट्टमि-चाउद्दसीलु य पभावई देवी भत्तिरागेण सयमेव (राउ) नट्टोवहारं करेइ / राया वि तयाणुवित्तीए मुरये पवापइ / अण्णया पुणावि पभावईए पहायकयकोउयाए दासचेडी वाहित्ता देवयगिहपवेसा सुद्धवासा आणेहि त्ति भणिया / ते य सुद्धवासा आणिजमाणा कुसुंभरागरत्ता इव अंतरे संजाया / इति श्वेतधौतिकबलिप्रतिष्ठाविचार; / चंपानगरी अणंगसेणो सुवण्णकारी, विजमाली जक्खी, नाइलो सावओ, किण्हगुलिया, उदायणो / उज्जेणी विइन्भयाओ असीइ जोयणाई चंडपजीआ राया / दिद्वसुयमणुभूयं जं वत्तं पंचसेलए दीवे नलगिरी सुवण्णगुलिया / पुन्वाधीयं नस्सइ नवं च छाओ न पचलो घेत्तं / खमगस्स व पारणए वरिसति असहू य बालाई // 3207 / / वर्षतिभिक्षां कुर्वति / धुवलाओ उ जिणाणं वरिसानु य होइ गच्छबासीणं / उडु तरुणे चउमासो खुर-कत्तरि छल्हू गुरुगा // 3213 // पढमंमि समोसरणे वत्थ पायं च जो पडिग्गाहे / सो आणा अणवत्थं मिच्छत्त-विराहणं पावे // 3222 // पजोसवणे केसे गावीलोमप्पमाणमेत्ते वि / जो भिक्ख वाइणावती सो पावइ आणमाईणि / / 3210 // उगलग-ससरक्ख कुडमुह-मत्तगतिगलेव-पायलेहणिया / संथारफलगपीढग निजोगो चेव दुगुणो उ // 3238 / /