________________ नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये अर्थो-वासाखेत्ते निविग्घेण चउरो मासा अच्छिउं कत्तियचाउम्मासं पडिकमिउं मग्गसिरबहुलपडिवयाए निग्गंतव्व एस चेव चउपाडिवओ / तथा काइयभूमि संथारए य संसत्त दुल्लभे भिक्खे / एएहि कारणेहिं अप्पत्ते हाइ निग्गमण // 3159 // राया कुंथू सप्पे अगणि गिलाणे य थंडिलस्स असई / एएहिं कारणेहिं अप्पत्ते हाइ निम्गमण // 3158 // वासं व न उ विरमइ पंथा वा दुग्गमा सचिखल्ला / एएहिं कारणेहिं अइकते हेाइ निग्गमण // 3160 // एष पर्युषणाविचारः / वर्षाकाले खेत्ते ठवणा जहा उभओ वि अद्धजोयण अद्धकासं तह हवइ खेत्तं / हेाइ सकोसं जायण मेोत्तूणं कारणज्जाए // 3162 // अर्थो-पुवावरेण दक्खिणुत्तरेण वा / अहवा उभओत्ति सवओ समंता अद्धजायणं सह अद्धकासेण एगदिसाए खेत्तप्पमाणं भवइ / उभओ वि मेलिउ गमागमेण वा सकेासं जायणं भवइ / 'कारणजाएण'त्ति अववायकारणं मात्तण एरिसं उस्सग्गेण खेत्तं भवइ / वासासु एरिसं खेत्तठवणं ठवेइ / तथा उड्ढमहे तिरियमि य सकोसं हवइ सवओ खेतं / इंदपयमाइएसू हिसि सेसेस्सु चउ पंच // 3163 // नइमादिजलेसु इमा विही / दगघट्ट तिणि सत्त व उउवासासु न हणति ते खेत्तं / चउरऽट्टाइ हणंती जंघद्धको वियपरेणं // 3155 // वर्षाकाले चउच्चारपासवण खेलमत्तए तिणि तिण्णि गिर्हति / संजमआएसट्टा भिजेज्ज व सेस उज्झंति // 3172 // धुवलाओ उ जिणाण निच्च थेराण वासवासासु / असहू गिलाणगस्स व त रयणि तू नइक्कामे // 3173 /