________________ नि:शेषसिद्धान्तविचार-पर्याये . रोहेउ अट्टमासे वासासु सभूमिए निवा जंति / / रुद्धण तेण नगरे हावंति न मासकप्प तु / / 2375 / / गुत्तागुत्तदुवारा कुलपुत्ते सत्तमंतगंभीरे / भीयपरिसे मद्दविए अजासेन्जायरे भणिए // 2457 / / घणकुडा सकवाडा सागारिय भगिणि माउ परंता / निप्पञ्चवाय जोग्गा विच्छिन्न पुरोहडा वसही / / 2455 / / संयतीशय्यागाथे / जो मुद्धा अभिसित्तो पंचहि सहिओ अ भुंजए रज्जं / तस्स उ पिंडो वज्जो तबिवरीयम्मि भयणा उ // 2497 // सेणावइ-अमच्च-पुरोहिय-सेटि-सत्थवाहेहिं पंचहिं सहिओ / मुदिए मुद्धभिसित्ते मुइओ जो होइ जोणिसुद्धो उ / अभिसित्तो उ परेहि सयं च 'भरहो जहा राया // 2498 / / असणाईया चउरो वत्थे पाए य कंबले चेव / पाउंछणए य तहा अट्टविही रायपिंडो उ // 2500 // जे भिक्खू राईण निग्गच्छंताण अहव निंताण / चक्खुवडियाए पयवि अभिधारे आणमाईणि // 2539 / / जइ खलु पुरिम संघं उद्दिसई मज्झिमस्स तो कप्पे // 2670 // अस्या अर्था यथा-रिसभसामिणो तित्थे जे समणा समणीओ वा ते उद्दिसिउ करेइ, तो तेसिं अकप्पं, मज्झिमाण पुण कप्पं, तेसिं मज्झिमाण कडं दोण्हवि. पुरिम-मज्झिमाण अकप्पं इत्यर्थः / इत्याधाकर्मविचारः। गुरुणो जावजीवं सुद्धमसुद्धेण होइ कायव / वसहे बारस वासा अट्टोरस भिक्खुणो मासा // 2686 / / वसहे-उपाध्याये इत्यर्थः / जह भमरमहुयरिंगणा निवयंति कुसुमियंमि वणसंडे / तह होइ निवइयव्वं गेलण्णे कइवयजढेण // 2971 //