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________________ 21 निशीविचारा: वद्धमाणसामिस सिस्सा सुहम्मो, तस्स जंबुनामा, तस्सांव पभवी, तस्स सेज भवा, तस्सवि सिस्सो जसमद्दो, जसभहस्स सिस्सा संभूओ, संभूयस्स थूलभद्दो, थूलभदं जाव सम्वेसि एकसंभोगा आसि / थूलभद्दस्स जुगप्पहाणा दा सीसा अजमहागिरी अजसुहत्थी य / इति पर्वक्रम उक्तः (2154 गाथाचूर्णि:) / जे भिक्खू सहुमाई करेज रयहरणसीसगाई च / सो आणा अणवत्थं मिच्छत्तविराहणं पावे // 2171 // रयहरणसीसगाणि-रयहरणदसाओ / तिण्हुवरि बंधाणं दंडतिभागस्स हेट उवरिं वा / दोरेण असरिसेण व संतरं बंधंत आणाइ / / 2178 / / असरिसो अतजाओ इत्यर्थः / नाणाइसंधणट्टा वि सेविया नेइ उप्पहं विगई / कि पुण जो पडिसेवइ विगई वण्णाइणं कज्जे // 2684 // जे भिक्खू आगंतागारसु जाव परियावसहेतु वा एगो इत्थीए सद्धि विहारं वा करेइ सज्झायं वा करेइ, असणं वा पाण' वा खाइम वा साइमं वा आहारेइ, उच्चारं पासवण वा परिवेइ, अण्णयरं वा अणारियं निरं असमणपाओग्गं कहं कहेइ .कहतं वा साइजाइ ( उ० 8 सू० 1) / जे उजाणसि वा उजाणगिहंसि वा एगो एगाए-इथिए सद्धि जाव कहेइ, कहंत वा साइजइ (उ० 8 सू० 2) इत्येकाकिस्त्रीकथाविचारः / अवि मायर पि सद्धि कहा उ पगाणियस्स पडिसिद्धा / कि पुण अणारगाई तरुणित्थीहिं सह गयस्स // 2344 // अनावि अप्पसत्था थीसु कहा किमु अणारि असब्भा / चंकमणज्झायभोयण उच्चारेसुं तु सविसेसा // 2345 / / चक्की वीसइ भागं सब्वेवि य केसवाओ दस भागं / मडलिया छब्भागं आयरिया अद्धमद्धेण / / 2355 // पापेन गृह्यन्ते इतिशेषः /
SR No.004392
Book TitleNishesh Siddhant Vichar Paryay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLabhsagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year1973
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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