________________ निःशेषसिद्धान्तविचार-पर्याये एसा उ सब्वभंगा देसे भंगा इमो तत्थ // 1595 // . काउस्सग्गमकाउं भुजा भाऊण कुणइ वा पच्छा / सय काऊण व भुजइ तत्थ लहू तिनि उ विसिट्ठा // 159 // जावञ्चिय कालगया ताहे विय दाण्णि तिणि वा दिवसे / गच्छेज संजइणं अणुसट्टि गणहरो दाउं // 1751 // पडिणीय-मेच्छ सावय-गय-महिसा तेण साणमाईसु / आसन्ने उवस्सग्गे कप्पइ गमण गणहरस्स // 1734 // संयतीवसतौ इत्यर्थः / . पियधम्मो दढधम्मो मियवाई अप्पकाऊहल्लो य / अज्जं गिलाणियं खलु पडिजग्गइ परिसा साहू // 1751 // जेण पहेण पक्खियाइसु आगच्छन्ति, तम्मि पहे दंडाइ उवगरणं न मुंचंति इतिशेषः / ( उ०४ सू०२४). पासित्ता भासित्ता साउं सरिऊण यावि जे भिक्खू / विप्फालित्ताण मुहं सवियारकह कह हसइ // 1823 // पासवणुच्चारं वा जे भिक्खू वासिरेज अविहीए / सेा आणा अणवत्थं मिच्छत्तविराहण पावे // 1856 / / पट्टीवंसा दो० इत्यादि गाथा, वंसगकडणुकं वण० इत्यादि गाथा। तम्हा सव्वाणुन्ना सम्बनिसेही य पवयणे नस्थि / आयव्वयं तुलेजा लाहाकंखि व्व वाणियओ // 2067 / / जो चेव य उवहिम्मि गमो उ सो चेव हाइ भत्तपाणम्मि / भुजण वजमणुन्ने तिणि दिणे कुणइ पाहुण्ण // 2098 / / जत्थ संजईओ संजयाण किइकम्म करंति, तत्थ सव्वं उद्धट्टिया मुत्तावत्ताइ करति, न मुद्धाण (उ) ठिए रयहरणे पाडिति / केइ आयरिया भणति-उद्धट्टिया चेव रओहरणे सिरे पणमंति त चेव तेसिं मुद्धाणंति / संयतीविचारः (2117 गाथो चू०) /