________________ निशीथविचारा: संथारुत्तरपट्टे व पेक्खिए जहुग्गमे सूरो // इति प्राभातिकपडिलेहणगाथा (1425) एतेसु प्रेक्षितेसु यथा रविः उदेति / चउफलं मेकिल वा खंधे करेइ दुवार इति सीसवारिया करेइ / दो वि बाहामो छाइंता संजइ पाउरणेण पाउरइ // एगओ दुहओ वा कप्पअंचला खंधाराविया गरुलपक्ख पाउणइ / इति (15.5) प्रावरणविचार:। भिक्खुवियार विहारे दृइजते व गाममणुगाम / सीसदुवारं भिक्खू जे कुजा आणमाईणि / 1564 / / अनेन सीसढकणनिषेधः / जल्लो उ हाइ कमढ मला उ हत्थाइघट्टिो सडइ / पंका पुण सेउल्लो चिक्खलो वावी जो लग्गा / / 1522 // सकमहा इंदमहा आइसद्दाओ सुगिम्हगाइ, जो व जत्थ महामहो एपलु मा पमत्तं देवया छलेजा / तेण अणागाढजेोगनिक्खेवो / विभाऽन्यत-तेसु य सहमहाढिदिवसेसु विन्दलाभा भवइ, ताओ दुब्बलसरीग भुजति, ताहे पीणिजन्ति (बलिनो भवन्तीत्यर्थः) / इबरे नाम आगाढजोगवाही ते जोग वहंति, न तेसिं उद्देसा न वा पुन्युट्टि पढंति (1608) इत्यक्षरैरनध्याये योगाद्वहननिषेधः / तकाइ एगोगियं भुंजइ इति (1607) तक्राम्बिलाक्षराणि / विगई विगईभीओ विगइगय जो उ भुजए भिक्खू / विगई विगइसहावा विगई विगई बला नेइ // 1622 // व्याख्या-घृतादिविगई, बिइयविगइगहणेण कुगई / विगईए कयं विगइकय जहा विस्संदण', विगई वा गय जम्मि दवे तं दव्वं विगइगय, जहा दध्यादनः / विगईए भुत्ताए साहु विगयसहावा भवइ, सा य विगई भुत्ता विगइ नरगाइयं बला नेइ इत्यर्थः / विगइमणट्ठा भुजइ न कुणइ आयंबिल न सद्दहइ /