________________ * निशीथविचारा: तोगच्छगस्स इच्छाणुलोमण जो न कुज सइ लामे / असंजमस्स भीओ अलस पमाई च गुरुगा से // 3062 // तेगिच्छगो-गिलाणपडिजागरकः / खतिखम मद्दवियं असढमलोलं च लद्धिसंपन्नं / दक्खं सुभरमसुविरं हिययग्गाहिं अपरितंतं // 3105 // सुत्तत्थापडिबद्धं निजरपेही जिइंदियं दंत / / कोउहलविप्पमुकं अणाणुकित्तिं सउच्छाहं // 3106 // आगाढमणागाढे सद्दहगनिसेवगं च सट्टाणे / आउरवेयावच्चे एरिसयं तु निउजेजा // 3106 // असुविरा-अनिद्दालु, सुत्तत्थापडिबद्धो-गृहीतसूत्रार्थ: / को अन्नो एवं काउ समत्था, तुज्झ वा एरिसं तारिसं मए कयंति एवं जो नवि कथयति सो अणांणुकित्ती / पर्युषणाविचारो ग्रा-जोसवणार अक्खराइ हुँति उ इमाई गोण्णाई / परियागववत्थवणा पजोसवणा य पागइया // 3138 // परिवसणा पज्जुसणा पज्जोसवणा य वासवोसो य / पढमं समोसरणं ति य ठरणा जेट्टोग्गहेगट्टा // 3139 // अम्हा पज्जोसवणादिवसे पवजापरियागो एत्तिया मम वरिसा उहावियस्त तम्हा परियागश्वत्थणा भण्णइ / ऊणाइरित्तमासे अट्ट विहरिऊण गिम्हहेमंते / एगाहं पंचाह मास व जहा समाहीए // 3144 // पडिमापडिवन्नाण' एगाहो पंचाहो तहाऽलंदे / जिणसुद्धाण मासो निकारणओ य थेराण // 3147 / / 'जिणसुद्धाणं ति जिणकप्पियाण थेराण चेत्यर्थ: / कहं पुण ऊणा अइरित्ता वा उउबद्धिया मासा भवंति ? इत्याह काऊण मासकप्पं तत्थेव उवागयाण ऊणाउ / चिक्खल्लवासरोहेण वा बितीए ठिया नूण // 3145 / /