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________________ - श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह के अतिरिक्त चेतना शक्ति कमजोर होती है, तत्काल शरदी करता है बल को क्षीण करता है इस लिये यह भी अभक्ष्य है। 11 सर्व प्रकार का जहर (विष)-अफीम विगैरह जहरी पदार्थ प्राणघातक होने से अभक्ष्य हैं / अफीम सोमल भांग गांजा चरस तमाखू विगैरह जहरी पदार्थों का सेवन करने वालों की जो दशा होती है उसका वर्णन करने की जरूरत नहीं। इन के खाने पीने की जिन को आदत पड जाती है उन की परवशता का क्या वर्णन किया जाय ?, भोजन के बगैर वे रह सकते हैं लेकिन इन पदार्थों के बगैर नहीं, उन की शारीरिक और मानसिक प्रकृति भी पराधीन बन जाती है। अभ्यस्त व्यसन की प्राप्ति होने पर ही उन का शरीर और मन किसी भी काम के योग्य हो सकता है, अन्यथा नहीं। इस प्रकार के बुरे परिणामों से बचने के लिये उक्त सभी प्रकार के विषों का त्याग करना चाहिये / 12 करहा-करहे जो आकाश से जल के साथ बर्फ के टुकडे गिरते हैं जिनको 'ओला' कहते हैं वे भी अभक्ष्य हैं। 13 कच्ची मिट्टी सर्व प्रकार की कच्ची मिट्टी अभक्ष्य है। कच्ची मिट्टी सचित्त है इस के खाने से दो तरह के नुकसान होते हैं। एक तो यह कि मिट्टी के भक्षण से पेट में कई एक जंतु उत्पन्न होते हैं और पांडुरोग आमवात पित्त पथरी आदि अनेक दर्द भी खड़े होते हैं। दूसरा-व्यर्थ एकेंद्रिय
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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