SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 85
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . 3 श्रावक-द्वादश व्रत पभोगपरिमाण' व्रत कहलाता है। ___ इस व्रत के अनुसार श्रावक को निर्दोष आहार और निर्दोष व्यवहार करना चाहिये / कमसे कम वह 22 अभक्ष्य और 32 अनंतकाय का त्याग तो अवश्य करे। 22 अभक्ष्य. 1 वड का फल 2 पीपले का फल .. 3 पिलखण (पार्श्व पीपले) का फल 4 कठंबर का फल 5 उदुंबर (गूलर) का फल / ये पांच फल अभक्ष्य याने खाने, लायक नहीं हैं, कारण कि इन में बहुत से सूक्ष्म जीव होते हैं। 6 मदिरा (दारु) 7 मांस 8 मधु (शहद) 9 मक्खन ये चार ' महाविगई' कहलाते हैं। इन में उसी वर्ण के सूक्ष्म जीव उत्पन्न होते हैं, वे तद्वर्णवाले और अतिसूक्ष्म होने से देखने में नहीं आते, ये महाविगइयां चारों अभक्ष्य गिनी जाती हैं। 10 हिम (बरफ) यह असंख्यात अपंकाय जीवों का बना हुआ पिंड है, इस के खाने से जल के जीवों की हिंसा
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy