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________________ 466 पोषधविधि। 6 पोषध लेने के बाद 'राइय' प्रतिक्रमण जिसे पोषध करना हो उसे पहले रात्रिकप्रतिक्रमण अवश्य कर लेना चाहिये, परन्तु किसीने कारणविशेषसे प्रतिक्रमण न किया हो तो उसे पोसह लेने के बाद भी पडिलेहणा करके देववन्दन करने के पहले नीचे लिखे मुजब राइयप्रतिक्रमण कर लेना चाहिये। . इरियावही कर खमासमण दे आदेशपूर्वक कुसुमिणी दुसुमिगी का काउस्सग्ग करना, आगे की विधि नित्य मुजब करनी, मात्र सात लाख के स्थान इच्छा० 'गमणागमणे आलोउं' 'इच्छं' कह कर नीचे लिखा हुआ गमणागमणे का पाठ बोलना गमणागमणे "ईर्यासमिति, भाषासमिति, एषणासमिति, आदानभंड. निक्खेवगासमिति, पारिट्ठावणियासमिति, मनगुप्ति, वचनगुप्ति कायगुप्ति ए पांच समिति त्रणगुप्ति आठ प्रवचनमाता श्रावकतणे धर्म सामायिक पोसह लीधे रूडी रीते पाली नहीं, खंडना विराधना थइ होय ते सविहुं मन, वचन, कायाए करी तस्स मिच्छामि दुक्कडं / " . अन्तमें 'भगवानह' आदि कहने के पहले खमा० इ
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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