________________ श्रीजैनज्ञान-गुणसंग्रह काजा लेवे और दूसरी बार इरियावही करके "अणुजाणह जस्सुरगहो" ये शब्द बोल कर उसे परठे देवे, परठने के बाद 'वोसिरे' यह पद तीन बार बोले, फिर सब अविधि आशातना का 'मिच्छामि दुक्कडं' देकर देववन्दन करें। 5 पोषध लेने के पहले पडिलेहणा करने की विधि इरियावही करके खमा० इच्छा० 'पडिलेहणा करूं ?' 'इच्छं' कह कर मुहपत्ति, कटासन, चरवला, और दूसरे तमाम वस्त्रों की पडिलेहणा एक साथ कर लेनी चाहिये, फिर इरियावही कर काजा लेना और दूसरी इरियावही कर विधिपूर्वक परठना चाहिये। जिसने पोसह लेने के पहले पडिलेहणा कर ली हो उस को पोसह लेने के बाद सिर्फ पडिलेहना के आदेश लेने चाहिए और जहां 'मुहपत्ति पडिलेहण' का आदेश हो वहां मुहपत्ति की पडिलेहणा करनी चाहिए, दूसरे उपकरणों की फिर पडिलेहणा करने की जरूरत नहीं है, और न काजा लेने परठने की ही जरूरत है। मात्र अविधि आशातना का 'मिच्छामि दुक्कडं' देकर देववन्दन करना चाहिये / .१-ऊनी झाडू से जमीन झाडने से जो कूडा कर्कट इकठा होता है उसे 'काजा' कहते हैं। . २-'परठने' का तात्पर्य त्यागने छोडने से है /