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________________ 449 श्रीजैनशान-गुणसंग्रह ता. 20-5-34 ई० आपका शुभचिंतक दा० दीपचंद मुलाजी जैन संघ-गोल दानमल सायबजी द।। रखबचंद साहेबजी ,, मेरा कसनाजी मुता मेघराज मोतीचंदजी। , ताराचंदरा छे, अभिनन्दन पत्र की नकल उस पर हस्ताक्षर करने वाले गोल के पंचों के नाम के साथ ऊपर मुजब है। जालोर के ओसवाल नवयुवक सेवामंडल को दिया हुआ अभिनन्दन पत्र भी अक्षरशः ऊपर मुजब ही है। ____ अभिनन्दन पत्र अर्पण करने के बाद भी कई सज्जनों ने प्रासंगिक विवेचन किये / और मुनिमहाराज श्रीकल्याणविजयजी का 'सेवाधर्मः परमगहनो.योगिनामप्यगम्यः' इस पोइंट पर सारगर्भित व्याख्यान हुआ। अन्त में प्रमुख महोदय ने बड़ा ही आकर्षक और रोचक व्याख्यान और इस अंजनशलाका जैसे महान कार्य को निर्विघ्नतापूर्वक पार पहुंचाने के बदले में पूज्य मुनिमहाराज साहबों को बधाई दी और इस प्रकार के धर्मकार्य में लक्ष्मी का व्यय करके धर्म और संघमक्ति का लाभ उठाने वाले गोलनगर के जैनसंघ को हार्दिक धन्यवाद दिया /
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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