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________________ 450 श्री गोलनगरीय-पार्श्वनाथप्रतिष्ठा-प्रबन्ध ___अंत में दोनों सेवा मंडलों ने अपने कसरत के प्रयोगों से सभाजनों का मनोरंजन किया और जयध्वनि के साथ सभा विसर्जन हुई। 37 आय-व्यय मारवाड की प्रतिष्ठा-अंजनशलाकाओं में आय-व्यय अर्थात् उपज और खर्च भी अपना खास स्थान रखते हैं / अन्य देशों में जैन प्रतिष्ठाओं में न ज्यादा खर्च होता है, न पैदायश, परन्तु छोटी मारवाड के लिये ये दोनों बातें बडे महत्त्व की होती हैं। यहां के जैनों के लिये मंदिर की प्रतिष्ठा कराना बड़े से बड़ा कार्य होता है। वे अपनी शक्ति भर खर्च करके प्रतिष्ठा-महोत्सव करते हैं / इस प्रसंग पर उन्हें कम खर्च करने के लिए कहा भी जाय तो नहीं मानते / कहते हैं, खर्च नहीं करेंगे तो उपज कैसे होगी ? / कुछ अंश में यह बात है भी सही। प्रतिष्ठा पर जैसा खर्च किया जाता है वैसी ही उपज भी होती है। प्रतिष्ठा-अंजनशलाकाओं में उपज के 4 चार मंद होते हैं-१ नोकारसियों के चढावे, 2 वरघोडे के चढावे, 3 धजा, दंड, कलश, बिम्बस्थापन आदि के चढावे और 4 टीका अथवा भंडार मांडना।
SR No.004391
Book TitleJain Gyan Gun Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaubhagyavijay
PublisherKavishastra Sangraha Samiti
Publication Year1936
Total Pages524
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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